A Secret Weapon For Shodashi
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चत्वारिंशत्त्रिकोणे चतुरधिकसमे चक्रराजे लसन्तीं
The anchor on the appropriate hand displays that the person is fearful along with his Convalescence. If created the Sadhana, receives the self self esteem and each of the hindrances and hurdles are eliminated and every one of the ailments are taken off the image which is Bow and arrow in her hand.
A singular aspect of the temple is usually that souls from any religion can and do offer puja to Sri Maa. Uniquely, the temple administration comprises a board of devotees from different religions and cultures.
॥ अथ त्रिपुरसुन्दर्याद्वादशश्लोकीस्तुतिः ॥
केवल आप ही वह महाज्ञानी हैं जो इस सम्बन्ध में मुझे पूर्ण ज्ञान दे सकते है।’ षोडशी महाविद्या
चक्रेऽन्तर्दश-कोणकेऽति-विमले नाम्ना च रक्षा-करे ।
कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —
Shodashi Goddess is one of the dasa Mahavidyas – the 10 goddesses of wisdom. Her identify implies that she would be the goddess who is usually sixteen decades outdated. Origin of Goddess Shodashi occurs right after Shiva burning Kamdev into ashes for disturbing his meditation.
भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।
लक्ष्या या चक्रराजे नवपुरलसिते योगिनीवृन्दगुप्ते
अकचादिटतोन्नद्धपयशाक्षरवर्गिणीम् ।
केयं कस्मात्क्व केनेति सरूपारूपभावनाम् ॥९॥
The Sadhana of Tripura Sundari is actually a harmonious mixture of trying more info to find pleasure and striving for liberation, reflecting the twin aspects of her divine character.
यदक्षरशशिज्योत्स्नामण्डितं भुवनत्रयम् ।